उल्का पिंड (meteorite) क्या होता है ,उल्कापिंड कैसे बनते हैं .

उल्का पिंड (meteorite) क्या होता है ...... 




पृथ्वी पर समय समय पर खगोलीय घटनाएं होती रहती हैं ,जैसे         सूरज ग्रहण  ,   चाँद ग्रहण   ,  धूमकेतु  का दिखना  आदि ,ऐसी ही एक खगोलीय घटना है आकाश से उल्कापिंड का दिखाई देना तथा इनका पृथ्वी पर गिरना आइये जानते हैं उल्कापिंड क्या होते हैं और उल्कापिंड से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में in hindi  -






आज के लेख में हम जानेंगे-- 
उल्का पिंड क्या होता है 
उल्कापिंड (meteorite) किससे बने होते हैं |
 Ulkapind का निर्माण\उत्पत्ति
भारत में उल्कापिंड गिरने की घटनाएं 
उल्कापिंड से जुड़े रोचक तथ्य





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उल्का पिंड क्या होता है :-


पृथ्वी पर आकाश या अंतरिक्ष से गिरने वाले वो  "विशेष पत्थर"  के टुकड़े या पिंड जो बहुत तेजी से पृथ्वी की तरफ आते हुए दिखाई देते हैं ,गिरने वाले इन पिंडो को उल्का या लुका कहा जाता है |
  • रात में यह विशेष पिंड \लुका आसानी से देखे जाते हैं ,जिनको टूटते तारे भी कहा  जाता है | 
  • "ज्यादातर लुकाये \उल्कायें  पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश के समय जल जाते हैं ,इसके बाद भी जब यह उल्काये पृथ्वी के भूभाग पर पहुंच जाते हैं ,तो इस पिंड को उल्कापिंड कहा जाता है"
  • उल्कापिंड (meteorite) को रात में बहुत संख्या में देखा जा सकता है लेकिन यह पृथ्वी तक पहुंच जाये ऐसा इनकी संख्या की तुलना में बहुत कम होता है ,क्योंकि यह पृथ्वी के वायुमंडल  में स्वत ही जल जाते हैं |  






उल्कापिंड किससे बने होते हैं:-


उल्कापिंड मुख्य रूप से धातुएं जैसे लोहा, निकल ,एल्मुनियम ,क्रोमियम और अधातु जैसे कार्बन ,कैल्सियम ,हीलियम ,हाइड्रोजन आदि के बने होते हैं | 


  • अभी तक उल्कापिंड में 52 रासायनिक तत्व मिल चुके हैं | 






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Ulkapind का निर्माण\उत्पत्ति :-

उल्कापिंड की उत्पत्ति से जुड़े सवालों पर सभी वैज्ञानिक एक मत नहीं हैं। किसी वैज्ञानिक की कुछ थ्योरी है तो किसी की कोई अलग थ्योरी है जैसे -


कुछ वैज्ञानिको का मानना है की उल्कापिंड वर्तमान में मौजूद सौरमंडल सदस्यों के भाग हैं मतलब उल्कापिंड पृथ्वी चन्द्रमा ,मंगल ,धूमकेतु आदि के  भाग हैं|

कुछ वैज्ञानिको का मानना  यह उल्कापिंड का निर्माण  किसी ऐसे ग्रह से हुआ है जो मोजूद नहीं है, मतलब वो कभी किसी जमाने में नष्ट हुआ होगा जिसके टुकड़े अंतरिक्ष में फेल गए होंगे और पृथ्वी के आकर्षण के कारण उल्कापिंड पृथ्वी तक आ जाते हैं |




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उपरोक्त मत में से दूसरा मत तार्किक प्रतीत होता है , क्योंकि पृथ्वी पर मौजूद अवयव और Ulkapind पर मौजूद अवयवों में काफी भिन्नता पायी जाती है | परन्तु  हो सकता है सौरमंडल के वो ग्रह \ भाग जो आज तक अछूते हैं उनके भाग यह उल्कापिंड हों |





उल्कापिंड के प्रकार :-

ulkapind को  मुख्य रूप से इसके संरचना और उल्कापिंड में मोजूद अवयव के आधार पर दो भागों में बांटा जाता है--

अवयव\तत्व के आधार पर उल्कापिंड के प्रकार -
कुछ उल्कापिंड लोहे ,निकल ,या अन्य धातुओं के मिश्रण से बने होते हैं। इस तरह के उल्कापिंडो को धात्विक उल्कापिंड कहा जाता है |

कुछ उल्कापिंड खनिज पत्थरो से बने होते  हैं ऐसे उल्कापिंडो को आश्मिक उल्कापिंड  कहा जाता है |




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कुछ अन्य उल्कापिंडों में धात्विक और आश्मिक दोनों के प्रदार्थ पाए जाते हैं ,ऐसे उल्कापिंडों को धात्वाश्मिक उल्कापिंड कहा जाता है |



संरचना  के आधार पर उल्कापिंड के प्रकार-
आश्मिक उल्कापिंड में विशेष प्रकार के दाने होते हैं जिन्हें कोंड्राइट कहा जाता है और जिन उल्कापिंड में यह दाने  नहीं होते हैं उनको एकोंड्राइट कहा जाता है |

धात्विक में भी दो संरचनाएं होती है अष्टानिक और षष्ठानिक मतलब एक में प्रदार्थ के बांड\जोड़  अष्टानिक होते हैं तो दूसरे में यह षष्ठानिक यानि छः तरह से बांड से जुड़े होते हैं |






भारत में उल्कापिंड गिरने की घटनाएं :-

हमारे भारत में भी उल्कापिंड गिरे हैं, जिसमे से कुछ प्रचलित घटनाएं इस प्रकार है -


  • इलाहबाद (प्रयागराज ) की एक घटना के अनुसार आश्मिक उल्कापिंड 30 अगस्त 1920 को 11 बजकर 15 मिंट पर मेडुआ स्थान पर गिरा था |
  • इसका वजन लघभग 57000 ग्राम था तथा लम्बाई 12 इंच थी |



  • मालाबार के कुट्टीपुरम ग्राम 6 अप्रैल 1914 को सुबह 7 बजे 38000 ग्राम का एक उल्कापिंड गिरा |

  • ऐसे ही एक उल्कापिंड के सबूत महाराष्ट्र की लोनार झील के भी हैं जिसे शुरू में ज्वालामुखी से बनी झील  माना जाता था ,लेकिन जाँच के बाद पता चला की यह उल्कापिंड से निर्मित है |







उल्कापिंड से जुड़े रोचक facts in hindi :-

  • उल्कापिंड को खरीदा भी जा सकता है कई बार उल्कापिंड की नीलामी की जाती है |
  • भारत में अगर आप को उल्कापिंड मिल जाये तो इसे आप रख नहीं सकते इसे आप को संबंधित न्यायधीश को देना होता है जो बाद में जाँच के लिए भेजा जाता है |
  • भारत के कलकत्ता में एक उल्कापिंड संग्राहलय है जो एशिया में भी सबसे बड़ा है
  • भारत के कलकत्ता संग्राहलय में लघभग 470 उल्कापिंड मोजूद हैं |
  • हर रोज पृथ्वी पर अरबो की संख्या में उल्कापिंड गिरते हैं लेकिन इनका पता नहीं चल पाता क्योंकि यह आकर में छोटे होते हैं |
  • इंटेरनेशनल स्पेस सेंटर को उल्कापिंडो से बचाने के लिए विशेष चादर से कवर किया गया है |








आज के लेख में हम ने जाना-उल्का पिंड क्या होता है ,ulkapind in hindi  उल्कापिंड किससे बने होते हैं | Ulkapind का निर्माण\उत्पत्ति, भारत में उल्कापिंड गिरने की घटनाएं, उल्कापिंड से जुड़े रोचक तथ्य।
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