शहीद ए आजम भगत सिंह की कहानी (Story of Shaheed e Azam Bhagat Singh)


देश की आजादी के लिए लड़ने वाले अमर शहीदों में से एक शहीद ए आजम भगत सिंह जिनका जन्म 28 सितंबर 1907 में पंजाब के ल्यालपुर के बंगा जो अब पकिस्तान में है में हुआ |

भगत सिंह का मन शुरू से ही देश भक्ति के प्रति आकर्षित हो गया क्योंकि इनके घर में क्रन्तिकारी गतिविधि का माहौल था इनके पिताजी सरदार किशन सिंह जी व इनके चाचा जी सरदार अजित सिंह जी क्रान्तिकरि थे

इन्ही से प्रेरणा लेकर के bhagat singh भी देशभक्ति के तथा देश की स्वतंत्रता के आंदोलन में कूद पड़े तथा सक्रिय भूमिका निभाने लगे |

आइए जानते है देश के शहीद भगत सिंह के जीवन से जुडी महत्यपूर्ण घटनाओं के बारे में -




आज के ब्लॉग में हम बात करेंगे -
भगत सिंह (bhagat singh) को फांसी की सजा कब हुई?
भगत सिंह(bhagat singh ) की मृत्यु कब और कहां हुई?
लाला लाजपत राय की मोत का बदला किसने  लिया ? 




भगत सिंह लाये जलियांवाला भाग की मिट्टी Bhagat Singh brought the soil of Jallianwala:-

  • 13 अप्रैल 1919 को एक नरसंहार हुआ जब लोग एक मेले में शरीक होने के लिए इखट्टा हुए लेकिन उस समय भीड़ के एक जगह एकत्र होने की पाबंदी थी इसलिए वहाँ पहुंचे अंग्रेज अधिकारी जनरल डायर ने गोलीया चलवा दी जिससे हजारो लोग मारे गए |



भगत सिंह  Source:- wikipedia



  • bhagat singh  को जब इस बात का पता चला तो वो पैदल ही मिलो दूर चल कर जलियाँवाला भाग पहुंच गए | वहां  पर पड़ी लाशो को देख कर उनको बहुत दुःख हुआ वो वहां से खून से सनी मिटटी ले आये और अपने देश वासियों की मोत का बदला लेनी की ठानी |




भगत सिंह ने लिया असहयोग आंदोलन में हिस्सा  Bhagat Singh took part in non-cooperation movement:-



  • गांधी जी के अनुसार अगर भारतीय सारी अंग्रेजी सुविधाएं असुविकार कर दे तथा स्वदेशी सामन पर आ जाये तो अंग्रेजो के पास कोई भी चारा नहीं बचेगा और अपने आप बिना लड़े आजादी मिल जाएगी | 


  • गांधी जी का यह विचार तेजी से फेल रहा था, लोग अंग्रेजी वस्तुओ का अस्वीकार कर रहे थे इसमें भगत सिंह ने भी जमकर भाग लिया था अपनी विदेशी किताबो और कपडो को भी उन्होंने आग के हवाले कर दिया था |
  • इसी बीच 5 फरवरी 1922 के दिन चोरी चोरा नामक स्थान पर एक घटना हुई भीड़ ने एक पुलिस थाने में आग लगा दी  जिससे आहत होकर गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया |
  • इसके बाद गांधी जी व भगत सिंह के विचारो में मतभेद हो गया क्यूंकि भगत सिंह मानते थे की गांधी जी को आंदोलन खत्म नहीं करना चाहिए था |


  • अब इस समय तक दो दल बन गए थे एक दल जिसमें शांति से आजादी की लड़ाई लड़ने वाले थे दूसरी और गर्म दल के लोग थे जो आरपार की लड़ाई लड़ना चाहते थे भगत सिंह जी गर्म दल का हिस्सा थे |




लाला लाजपत राय की मोत का बदला लिया  Lala Lajpat Rai's revenge :-


  • साइमन कमीशन के विरोध में जगह जगह विरोध हो रहे थे इसी बीच लालालाजपत राय व भगत सिंह के साथियो ने भी विरोध में नारे लगाने का निर्णेय लिया |


  • वे लोग अंग्रेजी अधिकारियो के सामने विराध कर रहे थे तथा साइमन गो बेक के नारे लगा रहे थे इसी बीच अंग्रेजो ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया जिसमें लाला जी बुरी तरह घायल हो गए और एक दिन उनका स्वर्गवास हो गया |
  • इसके बाद भगत सिंह व इनके साथियो ने अंग्रेज अधिकारी स्कॉट को मारने की योजना बनाई लेकिन स्कॉट के नहीं मिलने पर एक अन्य अंग्रेज अधिकारी जॉन सोंडर को गोली मार के लाला जी की मोत का बदला लिया गया |
  • दूसरे दिन इन लोगो ने पोस्टर लगवा दिए की लाला जी की मोत का बदला ले लिया गया है ,जिससे अंग्रेज अधिकारी भोचक्के रह गए अब अंग्रेजो ने क्रांतिकारियों की पकड़ तेज कर दी जगह जगह छापे मारे जा रहे थे
  • अपनी पहचान छुपाने की वजह से भगत सिंह ने अपनी दाडी व् केश काट लिए ताकि उन्हें कोई पहचान न सके और इसी तरह आगे की गतिविधियों में भाग लेते रहे |





 bhagat singh ने केंद्रीय असेम्ब्ली में फेके बम Bomb thrown in central assembly :-

  • इधर ब्रिटिश सरकार मजदूर विरोधी बिल पारित करना चाहती थी उधर आंदोलन की आग धीरे धीरे कम हो रही थी आखिरकार भगत सिंह ने जन भावना को फिर से जगाने तथा बिल के विरोध में दिल्ली की केंद्रीय असेम्ब्ली में बम फेंके |
  • बम लो इंटेन्सीटी का था जिससे किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाना था बल्कि विरोध जताना था | बम फेंकने के बाद वे लोग वही इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने लग गए और आखिर गिरफ्तार हो गए भागे नहीं ताकि आंदोलन की भावना फिर से जीवित हो सके |



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भगत सिंह ने जैल में की भूख हड़ताल  Bhagat Singh did hunger strike in jail:-


  • जैल में जेल पर्शासन द्वारा बहुत भेदभाव किये जा रहे थे उनको आम केदियो की तरह सुविधाएं नहीं मिल रही थी भारतीय केदियो के साथ अलग वहवहार किया जा रहा था |
  • इन्ही के विरोध में भगत सिंह व इनके साथियो ने भूख हड़ताल शुरू की ,इन लोगो पर भूख हड़ताल तोड़ने को लेकर अत्याचार किये जा रहे थे लेकिन यह लोग भूख हड़ताल नहीं तोड़ रहे थे | 
  • आखिर शरीर कब तक साथ निभाता भगत सिंह के साथी जतीन्द्रनाथ दास की 63 दिन बाद मृत्यु हो गयी इसके बाद भी भगत सिंह नहीं रुके आखिरकार भगत सिंह की मांगे मानी गयी और इन्होने अपनी हड़ताल खत्म की |





एक दिन पहले दी गयी फाँसी Hanged a day ago :-
इन्ही घटनाओं के बीच भगत सिंह व इनके साथियों को फांसी कि सजा हो चुकी थी | फांसी का दिन 24 मार्च 1931 को सुबह को रखा गया |


भगत सिंह की फांसी की खबर एक अखबार में  Source:- wikipedia



लेकिन फांसी के विरोध में लोग पर्दशन करने लग गए थे जिसका आभास अंग्रेजो को होने लग गया था | अंग्रेजो को अंदेशा था की कोई न कोई घटना न हो जाये |
इन सब से डरकर अंग्रेज सरकार ने एक दिन पहले ही 23 मार्च को रात के समय फांसी दे दी |
भगत सिंह व  उनके साथी राजगुरु व सुखदेव हँसते हँसते इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाते हुए फांसी के फंदे से झूल गए |






आज के लेख में हम ने जाना- भगत सिंह (bhagat singh) को फांसी की सजा कब हुई? भगत सिंह(bhagat singh ) की मृत्यु कब और कहां हुई?  लाला लाजपत राय की मोत का बदला किसने  लिया ?   भगत सिंह का आजादी में योगदान ,भगत सिंह से जुड़े रोचक तथ्य।  आप को यह जानकारी कैसी लगी अपनी राय और सुझाव comment कर जरूर बताये 






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