नमस्कार ,आदाब दोस्तों ,
अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ दुनिया भर में पहचान बनाने वाले जयपुर शहर (गुलाबी नगर ) का नाम चिकित्सा विज्ञान के एक महत्वपुर्ण उपकरण के साथ भी जुड़ा हुआ है | यह उपकरण दुर्घटना ग्रसित लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है,यह लोगो को जीवन में नई उचाईयो के प्रति कदम बढ़ाने में मदद कर रहा है एव गेम चेंजर साबित हुआ है | यहाँ हम बात कर रहें हैं जयपुर फुट के बारे में जो दुनिया का सबसे सस्ता कृत्रिम पैर है | आइये जानते हैं जयपुर फुट एव इससे जुड़े लोगों के बारे में जानकारी |
आज के ब्लॉग में हम पड़ेंगे -
कृत्रिम पैर क्या होते है ?
जयपुर फुट क्या है ?
डॉ .पी के सेठी कौन थे ?
जयपुर फुट Jaipur Foot:- जयपुर फुट एक कृत्रिम पाव है जो दुर्घटनाग्रसित लोगों के लिये वरदान साबित हुआ है | यह रबड़ का बना हुआ होता है ,जो वजन मे हल्का होता है जिसे घुटनों के नीचे पैर पर दुर्घटना ग्रस्त हो जाने या कट जाने के बाद पहना जाता है | इसके पहनने के बाद व्यक्ति आसानी से रोज मर्रा के अपने काम कर सकता है |
source :- Jaipurfoot.org
उपयोगिता /उद्देशय Utility / purpose:- जयपुर फुट बनाने का मुख्य उद्देशय ऐसा कृत्रिम पैर बनाने से था जो सस्ता हो तथा आम नागरिकों की पहुँच में हो | सस्ता एव टिकाऊ होने के कारण यह विश्वभर में प्रसिद्ध है| कई विदेशी नागरिक कृत्रिम पैर लगवाने के लिए भारत आते हैं | कई बार भारत द्वारा मुफ्त में ये सेवाएं दी जाती हैं | जयपुर फुट बनाने के पीछे डॉ पी के सेठी व उनकी टीम के सदस्यों की कड़ी मेहनत है |
जयपुर फुट का अविष्कार 1968 में हुआ |
बात पते की -ढूंढोगे तब ही रास्ते मिलेंगे ,मंजिले चल कर नहीं आती .
डॉ. पी के सेठी Dr. PK Sethi :-डॉ. प्रमोद करण सेठी आर्थोपेडिक सर्जन थे ,जिन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर 1968 में इस उपकरण का अविष्कार किया | डॉ प्रमोद करण सेठी की टीम में डॉ महेश उदावत ,डॉ एस सी कासलीवाल एव एक डिजायनर राम चंद्र वर्मा शामिल थे | टीम के सामने सबसे बड़ी चुनौती एक ऐसा उपकरण बनाने की थी जो हल्का व टिकाऊ होने के साथ साथ सस्ता भी हो ताकि लोगों की पहुंच में आ सके | इन्होंने इस चुनौती को पूरा किया जिसका परिणाम आज हम देखते हैं |
डॉ.पी के सेठी को जयपुर फुट के कारण 1981 में पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया तथा इन्होंने मेग्सेसे पुरस्कार भी प्राप्त किया |
भगवान महावीर विकलांग सेवा संस्थान ( B.M.V.S.S.) :- यह एक ऐसा संस्थान है जो विकलांगो को उनके जीवन में सहायता देने वाले उपकरण उपलब्ध करवाता है | इसकी स्थापना 1975 में डी.आर. मेहता द्वारा विकलांगों को सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गयी थी |
यह संस्थान विकलांगों की सहायता के लिए कई उपकरण विकसित करता है तथा नए शोध भी करता है |
विकलांगों को विभिन्न प्रकार की सेवाएं निःशुल्क उपलब्ध कराने वाला यह दुनिया का सबसे बड़ा संस्थान है |
your best teacher is your last mistake .
आज के ब्लॉग में हम पड़ेंगे -
कृत्रिम पैर क्या होते है ?
जयपुर फुट क्या है ?
डॉ .पी के सेठी कौन थे ?
जयपुर फुट Jaipur Foot:- जयपुर फुट एक कृत्रिम पाव है जो दुर्घटनाग्रसित लोगों के लिये वरदान साबित हुआ है | यह रबड़ का बना हुआ होता है ,जो वजन मे हल्का होता है जिसे घुटनों के नीचे पैर पर दुर्घटना ग्रस्त हो जाने या कट जाने के बाद पहना जाता है | इसके पहनने के बाद व्यक्ति आसानी से रोज मर्रा के अपने काम कर सकता है |
source :- Jaipurfoot.org
उपयोगिता /उद्देशय Utility / purpose:- जयपुर फुट बनाने का मुख्य उद्देशय ऐसा कृत्रिम पैर बनाने से था जो सस्ता हो तथा आम नागरिकों की पहुँच में हो | सस्ता एव टिकाऊ होने के कारण यह विश्वभर में प्रसिद्ध है| कई विदेशी नागरिक कृत्रिम पैर लगवाने के लिए भारत आते हैं | कई बार भारत द्वारा मुफ्त में ये सेवाएं दी जाती हैं | जयपुर फुट बनाने के पीछे डॉ पी के सेठी व उनकी टीम के सदस्यों की कड़ी मेहनत है |
जयपुर फुट का अविष्कार 1968 में हुआ |
बात पते की -ढूंढोगे तब ही रास्ते मिलेंगे ,मंजिले चल कर नहीं आती .
डॉ. पी के सेठी Dr. PK Sethi :-डॉ. प्रमोद करण सेठी आर्थोपेडिक सर्जन थे ,जिन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर 1968 में इस उपकरण का अविष्कार किया | डॉ प्रमोद करण सेठी की टीम में डॉ महेश उदावत ,डॉ एस सी कासलीवाल एव एक डिजायनर राम चंद्र वर्मा शामिल थे | टीम के सामने सबसे बड़ी चुनौती एक ऐसा उपकरण बनाने की थी जो हल्का व टिकाऊ होने के साथ साथ सस्ता भी हो ताकि लोगों की पहुंच में आ सके | इन्होंने इस चुनौती को पूरा किया जिसका परिणाम आज हम देखते हैं |
डॉ.पी के सेठी को जयपुर फुट के कारण 1981 में पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया तथा इन्होंने मेग्सेसे पुरस्कार भी प्राप्त किया |
भगवान महावीर विकलांग सेवा संस्थान ( B.M.V.S.S.) :- यह एक ऐसा संस्थान है जो विकलांगो को उनके जीवन में सहायता देने वाले उपकरण उपलब्ध करवाता है | इसकी स्थापना 1975 में डी.आर. मेहता द्वारा विकलांगों को सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गयी थी |
यह संस्थान विकलांगों की सहायता के लिए कई उपकरण विकसित करता है तथा नए शोध भी करता है |
विकलांगों को विभिन्न प्रकार की सेवाएं निःशुल्क उपलब्ध कराने वाला यह दुनिया का सबसे बड़ा संस्थान है |
क्या ?कब ?कैसे ?कहाँ ? या कहानी ?
Stay Tune (ज्ञान2ज्ञानी)Gyan2gyani
your best teacher is your last mistake .
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