सोमनाथ मंदिर का इतिहास और रोचक तथ्य somnath temple history or facts in hindi
विश्व प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर भारत के राज्य गुजरात के कठियावाड में स्थित है. सोमनाथ मंदिर जो 12 ज्योतिर्लिंग में से एक यहाँ स्थित है.
श्री सोमनाथ मंदिर को कई बार विदेशी आक्रमणकारियो ने क्षती पहुंचाई. भारत के पहले गृह मंत्री श्री वल्लभ भाई पटेल ने प्रण लिया था की वो इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराएंगे और पटेल जी ने ऐसा किया भी था.
तब से लेकर आज तक श्री सोमनाथ मंदिर अपने वर्तमान स्वरूप में है और कई पीढ़ियों और इतिहास को समेंटे हुए है.
सोमनाथ मंदिर का इतिहास \धार्मिक महत्व :- माना जाता है की भगवान शिव और माता पार्वती सदियों से यहाँ निवास करते हैं. यहाँ सच्चे दर्शन और प्राथना भर से भक्तजनों के पाप क्षमा हो जाते हैं.
सोमनाथ मंदिर का इतिहास \धार्मिक महत्व :- माना जाता है की भगवान शिव और माता पार्वती सदियों से यहाँ निवास करते हैं. यहाँ सच्चे दर्शन और प्राथना भर से भक्तजनों के पाप क्षमा हो जाते हैं.
यहाँ स्थित ज्योतिर्लिंग भोलेनाथ यानि भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मे से पहला माना जाता है. जिससे इसका धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है.
सोमनाथ मंदिर फोटो |
श्री सोमनाथ मंदिर से जुड़ी सबसे प्रचलित कथा यह हैं की इस का निर्माण चंद्र देव जिनका एक नाम सोम भी है ने खुद को मिले श्राप से मुक्ति के लिए भगवान शिव की भक्ति की थी जिस से खुश होकर शिव जी ने सोम यानी चंद्रदेव को श्राप से मुक्त कर दिया था.
प्राचीन सोमनाथ मंदिर |
photo source wikipedia
आखिर यह श्राप चंद्रदेव को मिला क्यों था आइये जानते हैँ. ऐसा माना जाता है की चंद्र देव ने दक्षप्रजापति राजा की कुल 27 पुत्रियों से विवाह किया था लेकिन चंद्र का आसक्ति, प्यार केवल दक्ष की एक पुत्री रोहिणी पर ही था जिससे परेशान होकर अन्य 26 पुत्रियों ने इसकी शिकायत अपने पिता और चंद्र के ससुर दक्ष से चंद्रदेव की शिकायत करदी.
पुत्रियों के पिता और चंद्र यानी सोम के ससुर ने चंद्र को समझाने का कई बार प्रयास किया लेकिन चंद्र के नहीं मानने पर दक्ष ने चंद्र को श्राप दे दिया. जिससे चंद्र की ललिमा और चमक धीरे धीरे कम होती जा रही थी.
चंद्र ने श्राप मुक्ति के लिए कई उपाए किये आख़िरकार बह्रमा जी ने शंकर जी की उपासना करने का उपाय सुझाया, आख़िरकार चंद्र देव ने शिव की भक्ति की जिससे खुश होकर शिव जी ने उनको श्राप मुक्त कर दिया तब से लेकर आज तक इस मंदिर में भगवान शिव की महिमा बनी हुई है.
देवताओं ने उस स्थान पर सोमेश्वर कुंड की स्थापना की इस कुंड में स्नान करने से पापों का नाश हो जाता है.
चंद्र का एक नाम सोम है जिस की वज़ह से इस मंदिर का नाम सोमनाथ मंदिर पढ़ा.
चंद्र का एक नाम सोम है जिस की वज़ह से इस मंदिर का नाम सोमनाथ मंदिर पढ़ा.
सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण :-ज्ञात होता है की इस मंदिर के निर्माण के अवशेष ईसा पूर्व के पहले के माने जाते हैं. इस मंदिर का दूसरी बार पुणनिर्माण और जीर्णोद्धार वल्ल्भ के राजाओं ने किया था. सिंध के अरबी गवर्नर जुनायद ने फिर से इस मंदिर को खंडित करने का प्रयास किया.
इस मंदिर का फिरसे निर्माण गुर्जर प्रतिहार राजाओं ने कराया..
अरबी यात्री के एक किताब में वर्णन के बाद मेहमूद गजनवी ने इस मंदिर पर आक्रमण कर दिया और इसमें स्थित सम्पत्ति को लूट लिया.
इसके बाद गुजरात के राजा और मालवा के राजाओं ने सोमनाथ मंदिर का निर्माण कराया. ऐसे ही कई बार सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया गया और इसकी सम्पत्ति लूटी गयी.
आख़री बार इस मंदिर का पुनेनिर्माण भारत के गृह मंत्री ने कराया और 1995 में इसे भारत राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया. तब से लेकर आज तक श्री सोमनाथ मंदिर वर्तमान स्वरूप में कई इतिहास का गवाह रहा है.
सोमनाथ मंदिर facts. somnath temple facts:-
सोमनाथ मंदिर का उल्लेख ऋंगवेद में किया गया है.
यह भारत मे स्थित 12 ज्योतिर्लिंग मे से सबसे पहला ज्योतिर्लिंग है.
कहा जाता है की मेहमूद गजनवी ने श्री सोमनाथ मंदिर पर 17 बार आक्रमण मंदिर में स्थित सोना लूटने के लिए किया था.
सोमनाथ मंदिर में रोज शाम को लाइट एंड साउंड शो किया जाता है और इसके इतिहास का वर्णन किया जाता है.
सोमनाथ मंदिर का संचालन सोमनाथ ट्रस्ट के माध्यम से किया जाता है.
आगरा के किले में रखे देवद्वार सोमनाथ मंदिर के ही माने जाते हैं.
माना जाता है की सोमनाथ के मंदिर में स्थित शिवलिंग गजब चुंबकिये शक्ति लिए हुए है जिसकी वज़ह से यह थोड़ा हवा में स्थित है.
मंदिर के शिखर पर स्थित कलश का भार 10 टन है और इसकी ध्वजा करीब 27फुट ऊँची है.
10 km के विशाल क्षेत्रफल वाले श्री सोमनाथ मंदिर में 40 के करीब कई और मंदिर हैं. जिसमें पार्वती, सरस्वती नंदी की मूर्तियां विराजमान हैं.
सोमनाथ मंदिर में तीन नदियों सरस्वती, हिरण और कपिला का संगम स्थान भी है.
सोमनाथ मंदिर से लघभग 200 km.की दुरी पर श्री कृष्ण की द्वारका नगरी भी स्थित है.
श्री सोमनाथ मंदिर के दक्षिण में समुन्द्र के किनारे के बीच एक ऐसा स्तम्भ है जिस पर एक बाण घुसा हुआ है जो यह दर्शाता है की मंदिर और दक्षिण धुर्व के बीच में कोई रुकावट नहीं है.इस स्तम्भ को बाण स्तंभ कहा जाता है.
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